मिथिला (मधुबनी) चित्रों में कोहबर में प्रतीक चिन्हों का महत्व

  • अलका झा, डॉ. प्रदीप कुमार निवोरिया

Abstract

मिथिला चित्रकला महिलाओं द्वारा हस्तांतरित होकर मिथिला के लोकाचार रूप में वर्तमान समय में भी विधमान है। यह कला बिहार-नेपाल सीमा में 15 जनवरी 1934 में आये भूकंप से प्रकाश में आई। भूकंप की तबाही का जायज़ा लेने ब्रिटिश अधिकारी विलियम जी आर्चर को भेजा गया। टूटी हुई दीवारों पर इन चित्रों को देखकर वे बड़े ही आश्चर्य चकित हुए और उन्होंने इन चित्रों की तुलना, पिकासो जैसे कलाकारों से की। 1949 में उन्होंने आर्ट जनरल, मार्ग में इस चित्रकला पर एक लेख लिखा। तब यह कला दुनिया के सामने आई।
How to Cite
अलका झा, डॉ. प्रदीप कुमार निवोरिया. (1). मिथिला (मधुबनी) चित्रों में कोहबर में प्रतीक चिन्हों का महत्व. ACCENT JOURNAL OF ECONOMICS ECOLOGY & ENGINEERING (Special for English Literature & Humanities) ISSN: 2456-1037 IF:8.20, ELJIF: 6.194(10/2018), Peer Reviewed and Refereed Journal, UGC APPROVED NO. 48767, 10(4), 15-21. Retrieved from https://ajeee.co.in/index.php/ajeee/article/view/5162
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