शैक्षिक प्रौधोगिकी-वर्तमान शिक्षा की आवश्यकता

  • नरेन्द्र सिंह

Abstract

आज का युग वैज्ञानिक युग है। विज्ञान ने मानव जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित किया है, जिसमंे शिक्षा भी मुख्य क्षेत्र है। शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षण मशीनांे, कम्प्यूटर, रेड़ियो, टेलीविजन, भाषा प्रयोगशाला आदि के साथ विभिन्न विधियों, प्रविधियों एवं व्यूह रचनाओं का उपयोग कर शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा रहा है। शिक्षक अपने कार्यो को सरल एवं प्रभावी रुप से प्रस्तुत करने के लिए विभिन्न प्रकार की शैक्षिक एवं वैज्ञानिक तकनीकी का प्रयोग करते हंै, इसी तकनीकी का हम शैक्षिक प्रौधोगिकी कहते हंै। छब्थ् 2005 के अनुसार बालक को शिक्षा शिक्षण एवं अधिगम के केन्द्र में स्थापित कर दिया गया है। ज्ञान के आदान-प्रदान की प्रक्रिया में समय के साथ-साथ हुए विकास के फलस्वरुप शिक्षण अधिगम साधनों में भी परिवर्तन हुआ है। मौखिक रुप से शुरु होकर कलम, पत्तियों, भोजपत्र, ताड़पत्र, शिक्षण के साधन बने फिर विकास की गति आगे बढी जो पुस्तकंे, स्याही, बोर्ड, चाॅक, आदि तक चली परन्तु वर्तमान शिक्षण के माध्यम रेड़ियो, टी.वी., कम्प्यूटर आधारित शिक्षण सामग्री, सी.डी., ई-लर्निग बन गये हैं । जिससे शिक्षण प्रभावी व रोचक बना है। वर्तमान समय में अधिकाधिक स्थान रचनावादी उपागमों को दिया जाने लगा है, जिससे बालक की रचनात्मक एवं सृजनात्मक क्षमता में वृद्धि होती है। शैक्षिक पे्रोधोगिकी विभिन्न तकनीकियों (इंजीनियरिंग प्राकृतिक विज्ञान, व्यावहारिक विज्ञान तथा अन्य सभी तकनीकियों ) का प्रयोग कर शैक्षिक प्रक्रिया को सुदृढ बनाने का प्रयास करती है। शैक्षिक पे्रोधोगिकी के माध्यम से व्यावहारिक ज्ञान द्वारा सुनियोजित प्रविधियो का विकास करना होता है, जिससे विद्यालयों की शैक्षिक प्रणाली का परीक्षण, प्रभावी शिक्षण कार्य एवं अधिगम की व्यवस्था की जा सके।
How to Cite
नरेन्द्र सिंह. (1). शैक्षिक प्रौधोगिकी-वर्तमान शिक्षा की आवश्यकता. ACCENT JOURNAL OF ECONOMICS ECOLOGY & ENGINEERING ISSN: 2456-1037 IF:8.20, ELJIF: 6.194(10/2018), Peer Reviewed and Refereed Journal, UGC APPROVED NO. 48767, 5(2). Retrieved from http://ajeee.co.in/index.php/ajeee/article/view/240