मैत्रेयी पुष्पा का व्यक्तित्व (उनकी आत्म कथाओं के आधार पर)

  • रानी गुप्ता, डाॅ. निरुपमा हर्षबर्धन

Abstract

1 प्रास्ताविक किसी भी रचनाकर के व्यक्तित्व निर्माण में उसके पारिवारिक परिवेश, वंश, कुल गोत्र एवं शैक्षणिक अभ्यास एवं विचारधारा दर्शन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। युगीन प्रभावो एवं ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को भी व्यक्तित्व एवं कृतित्व निर्माण में अनदेखा नहीं किया जा सकता है। साहित्यकार संवेदनशील प्राणी होता है, इसलिए उसके पारिवारिक प्रभाव एवं युगबोधी संदर्भ चेतन तथा अवचेतन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। मैत्रेयी पुष्पा के कथा साहित्य का कैनवास ग्राम दृ अंचल, गर्ल्स हॉस्टल कोर्ट कचहरी, पंचायत, खेत- खलिहान और नौकरी पेशा महिलाओं की वीथियो तक ही सीमित नहीं है बल्कि ऑपरेशन थिएटर में एक उपभोक्ता और व्यवसायी जिन्स बना देने वाला शहरी जीवन व महानगरीय जीवन तक व्याप्त है। उन्होंने हिंदी कथा साहित्य में मौलिकता एवं गुणात्मकता की दृष्टि से असाधारण योगदान दिया है। उन्होंने जितने सशक्त आत्मकथा, निबंध तथा संस्मरण आदि लिखा है उतना ही सशक्त काम कहानियाँ और उपन्यास मे किया है, और हिंदी साहित्य के कोष को समृद्ध बना दिया है।
How to Cite
डाॅ. निरुपमा हर्षबर्धनर. ग. (1). मैत्रेयी पुष्पा का व्यक्तित्व (उनकी आत्म कथाओं के आधार पर). ACCENT JOURNAL OF ECONOMICS ECOLOGY & ENGINEERING ISSN: 2456-1037 IF:8.20, ELJIF: 6.194(10/2018), Peer Reviewed and Refereed Journal, UGC APPROVED NO. 48767, 3(3). Retrieved from http://ajeee.co.in/index.php/ajeee/article/view/816
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