जीवन में भारतीय दर्शन की महत्ता

  • Dr. Nivedita Kumari

Abstract

भारत में वैदिक काल से ही दर्शन का प्रादुर्भाव दिखाई देने लगता है,। भारतीय दर्शनों में छः दर्शन अधिक प्रसिद्ध हुए-महर्षि गौतम का ‘न्याय’, कणाद का ‘वैशेषिक’, कपिल का ‘सांख्य’, पतंजलि का ‘योग’, जैमिनि की पूर्व मीमांसा अथवा ‘वेदान्त’। ये सब वैदिक दर्शन के नाम से जाने जाते हैं, क्योंकि ये वेदों की प्रामाणिकता को स्वीकार करते हैं। जो दर्शन वेदों की प्रमाणिकता को स्वीकार करते हैं वे आस्तिक कहलाते हैं और जो स्वीकार नहीं करते उन्हें नास्तिक की संज्ञा दी गई है। किसी भी दर्शन का आस्तिक या नास्तिक होना परमात्मा के अस्तित्व को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने पर निर्मम न होकर वेदों की प्रमाणिकता को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने पर निर्भर है। यहाँ तक की बौद्ध धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों का भी उद्गम उपनिषदों में है, यद्यपि उन्हें सनातन धर्म नहीं माना जाता है, क्योंकि वे वेदों की प्रामाणिकता को स्वीकार नहीं करते।
How to Cite
Dr. Nivedita Kumari. (1). जीवन में भारतीय दर्शन की महत्ता . ACCENT JOURNAL OF ECONOMICS ECOLOGY & ENGINEERING ISSN: 2456-1037 IF:8.20, ELJIF: 6.194(10/2018), Peer Reviewed and Refereed Journal, UGC APPROVED NO. 48767, 1(1). Retrieved from http://ajeee.co.in/index.php/ajeee/article/view/1393
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